Meet a pioneer - Satyendra Kumar Shukla who dedicated his life for education and uplifting the people who are less fortunate.
Name: Satyendra Kumar Shukla
Educational Qualification: M.A. and B.Ed
Current School: Saraswati Vidya Mandir Inter College, Unnao, Uttar Pradesh
Primary Education: Primary Government School, Sahadat Nagar, Hardoi
High School & Intermediate: Subhash Chandra Bose Inter College, Shahganj, Hardoi
Grdauation: Kanpur University
Post Graduation: CSM Mahavidyalaya, Hardoi
B.Ed: Ruhelkhand University, Bareilly
शिक्षण के क्षेत्र में कैसे आना हुआ?
पढ़ लिख कर फ़ौज में जाने का मन था. लेकिन गांव में कोई भी स्कूल न होने के कारण मुझे यहाँ के लोगों की चिंता हुई. इसलिए गांव से प्रेरणा मिली, गांव में स्कूल नहीं होने के कारण यही पढ़ाना शुरू किया। गांव का पहला स्कूल हमारे चाचा जी के प्रयास के बाद खुला। उनका नाम श्री दिवाकर लाल शुक्ल था.
आज की शिक्षा स्तर एवं तौर तरीको के बारे में क्या सोचते हैं?
आज शिक्षा का क्षेत्र किसी से अछूता नहीं है, यहाँ क्या हो रहा है सभी को पता है. शिक्षक का ध्यान आज शिक्षा पर न होकर टारगेट पूरा करने पर है. स्कूल में एडमिशन, कोचिंग के लिए बच्चे, सैलरी कैसे बढ़े, इत्यादि। जब तक शिक्षक छात्र की भूमिका में नहीं आएगा, शिक्षा के लिए संकल्पशक्ति को नहीं बढ़ाएगा, तब तक बदलाव संभव नहीं.
जिन सरकारी स्कूलों में अध्यापक अच्छा वेतन पा रहे हैं वहां कोई पढ़ना नहीं चाहता। जिन निजी स्कूलों में शिक्षा व्वयसाय है वहां लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे है.
आधुनिकता ने शिक्षा को एक नया आयाम दिया है, उसका सभी को स्वागत करना चाहिए. पहले की शिक्षा टेक्स्ट बेस्ड एजुकेशन थी, आज टेक्नोलॉजी विसुअल के साथ बच्चों के मस्तिष्क का विकास और अध्ययन की क्षमता को भी बढ़ा रही है. आज के छोटे छोटे बच्चे मोबाइल जैसे उपकरणों को आसानी से चला पा रही है. वही पुरानी पीढ़ी आज भी मोबाइल चलाने में सक्षम नहीं है. यह जीता जागता आधुनिक शिक्षा का उदहारण है.
कोई एक ऐसे रोचक घटना जो आप हमसे साझा करना चाहेंगे।
जी हाँ है, इस घटना ने मेरे जीवन को पूरी तरह से शिक्षा की तरफ मोड़ दिया, जैसा की मैने बताया मेरे गांव में स्कूल नहीं था. मेरे चाचा ने अपनी खेती की आधी जमीं स्कूल बनवाने के लिए दे दी. बड़े प्रयासों के बाद पहला सरकारी स्कूल मेरे गांव में खुला, स्कूल में सरकार ने दो शिक्षक नियुक्त किये, शरुवात के कुछ महीने तक सब सही चलता रहा, लेकिन कुछ समय बाद शिक्षकों के रवैये में परिवर्तन आने लगा वो कभी स्कूल आते कभी नहीं आते, बच्चे स्कूल में आते तो अध्यापक नदारद रहते, यह काफी समय तक चला शिकायत भी की गयी, पर अपनी सरकारी व्यवस्था ढांक के तीन पात. फिर गांव के लोगों ने मेरे चाचा और पिता जी को शिकायत करी. मेरे चाचा जी ने अध्यापकों से बात की तो उन्होंने एक दिन जवाब दिया की जब हम न आये तो आप पढ़ा लिया करो. तो गुस्से में चाचा जी ने भी कह दिया हां मैं पढ़ा लूंगा. उन्होंने यह किस्सा घर में बताया, मैं भी उस वक़्त पढ़ता था तो मैने चाचा जी से बोला की मैं पढ़ाऊंगा, और फिर वहां से मैने पढ़ाना शुरू किया, कुछ समय बाद वहां दूसरे शिक्षकों की नियुक्ति हुई, पर मैने पढ़ाना बंद नहीं किया जो आज निरंतर चालू है.
अध्यापकों के लिए टिप्स:
१. अध्यापक छात्रों को पुत्र माने.
२. शिक्षक हमेशा विधार्थी की भूमिका में रहे
३. अनुभव के साथ जीवन शैली में सुधार करें. भाषा, लेखनी, अध्ययन और समय प्रबंधन पर कार्य करें.
४. वार्षिक लक्ष्य निर्धारण करने के साथ परिश्रम की समीक्षा की जरूरत है.
छात्रों के लिए टिप्स :
१. नियमित स्कूल जाएँ।
२. शिक्षक हमेशा विधार्थी की भूमिका में रहे
३. अनुभव के साथ जीवन शैली में सुधार करें. भाषा, लेखनी, अध्ययन और समय प्रबंधन पर कार्य करें.
४. वार्षिक लक्ष्य निर्धारण करने के साथ परिश्रम की समीक्षा की जरूरत है.
TEACHERS SPOTLIGHT PROGRAM
The role of a teacher in society is both significant and valuable.It has far-reaching influence on the society he lives in and no other personality can have an influence more profound than that of a teacher. Students are deeply affected by the teacher's love and affection, character, competence, and moral commitment.
Yet teachers don't get their due respect and credit these days. We have started a Teacher Spotlight program where we recognise the effort of these silent and true Heroes of our society and tell their story.
Note: Please send your thoughts/suggestion or concern/complaints to [email protected]